विश्व मानव तस्करी निषेध दिवस-
"तस्करी के हर पीड़ित तक पहुंचें, किसी को पीछे न छोड़ें,
👉 बच्चों की ट्रैफिकिंग के खिलाफ चलाया जनजागरूकता अभियान
👉 विश्वधरोहर के सामने टूरिस्टों को हस्ताक्षर कर दिलाया संकल्प
सांची। विश्व मानव दुर्व्यापार निषेध दिवस 30 जुलाई रविवार को गैर सरकारी संगठन कृषक सहयोग संस्थान ने विश्वधरोहर सांची स्तूप के सामने ट्रैफिकिंग के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाया गया। संस्था के कार्यकर्ताओं ने सैलानियों को बताया कि मानव तस्करी एक आपराधिक कृत्य है जिसमें महिलाओं,बच्चों और पुरुषों का शोषण शामिल है। जिससे उन्हें श्रम और यौन कार्य के विभिन्न रूपों में मजबूर किया जाता है। इस दौरान यहाँ आने वाले टूरिस्टों को ट्रैफिकिंग के खिलाफ शपथ भी दिलाई गई।
मानव तस्करी और बाल अपराधों पर लोग जागरूक नहीं-
विश्व मानव दुर्व्यापार निषेध दिवस पर हस्ताक्षर अभियान संचालित कर टूरिस्टों को जगरूक कर रहे संस्था के जिला समन्वयक अनिल भवरे ने बताया कि कृषक सहयोग संस्थान बीते कई सालों से स्कूलों,आंगनबाड़ियों,पंचायतों के अलावा घर-घर जाकर बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहा है और लोगों को बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने की शपथ दिला रहा है। इन सतत प्रयासों का उद्देश्य बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल श्रम के खिलाफ लोगों में जागरूकता के स्तर को बढ़ाना और इसकी बुराइयों से अवगत कराना है। हालाकि पिछले एक दशक में देश में केंद्र और राज्य सरकारों ने बच्चों की ट्रैफिकिंग पर काबू पाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। लेकिन आम लोगों में जागरूकता की कमी के कारण ये प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं। हालांकि विगत वर्षों में किए गए प्रयासों से वैश्विक स्तर पर,तस्करी के मामलों का पता लगाने और तस्करों की सजा में वृद्धि हुई है।
बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकना बड़ी चुनौती-
संस्था की प्रोग्राम समन्वयक रेखा श्रीधर ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में बाल दुर्व्यापार या बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकना दशकों से एक बड़ी चुनौती है। यद्यपि सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर प्रयासों के कारण ट्रैफिकिंग के मामले दर्ज होने की संख्या बढ़ी है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना शेष है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हर घंटे नौ बच्चे लापता होते हैं,जबकि रोजाना आठ बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं। रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देश 77,535 बच्चे लापता हुए जो 2020 के मुकाबले 31 फीसद ज्यादा है।
संसद में एंटी-टैफिकिंग बिल शीघ्र पास कराये सरकार-
देश में बच्चों की ट्रैफिकिंग के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए कृषक सहयोग संस्थान के संस्थापक डॉ एच बी सेन ने कहा कि “यह तथ्य कि आज ज्यादा से ज्यादा लोग बच्चों के लापता होने की जानकारी देने सामने आ रहे हैं, अपने आप में एक बड़ा बदलाव है। यह इस बात का संकेत है कि जमीनी स्तर पर घर-घर जाकर हमने जो जागरूकता अभियान चलाया है। उससे लोगों की मानसिकता बदली है और सुखद नतीजे सामने आ रहे हैं । हालांकि सरकारें और कानून प्रवर्तन एजेंसियां पूरी मुस्तैदी से बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के प्रयासों में जुटी हुई हैं। लेकिन इस संगठित अपराध को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए एक कड़े एंटी-ट्रैफिकिंग कानून की सख्त जरूरत है। इसलिए सरकार संसद में एंटी-टैफिकिंग बिल शीघ्र पास कराए।
सांची आये दर्शनार्थियों ने की सराहना-
मानव तस्करी और बाल अपराधों पर लोग जागरूक नहीं-
विश्व मानव दुर्व्यापार निषेध दिवस पर हस्ताक्षर अभियान संचालित कर टूरिस्टों को जगरूक कर रहे संस्था के जिला समन्वयक अनिल भवरे ने बताया कि कृषक सहयोग संस्थान बीते कई सालों से स्कूलों,आंगनबाड़ियों,पंचायतों के अलावा घर-घर जाकर बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहा है और लोगों को बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने की शपथ दिला रहा है। इन सतत प्रयासों का उद्देश्य बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल श्रम के खिलाफ लोगों में जागरूकता के स्तर को बढ़ाना और इसकी बुराइयों से अवगत कराना है। हालाकि पिछले एक दशक में देश में केंद्र और राज्य सरकारों ने बच्चों की ट्रैफिकिंग पर काबू पाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। लेकिन आम लोगों में जागरूकता की कमी के कारण ये प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं। हालांकि विगत वर्षों में किए गए प्रयासों से वैश्विक स्तर पर,तस्करी के मामलों का पता लगाने और तस्करों की सजा में वृद्धि हुई है।
बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकना बड़ी चुनौती-
संस्था की प्रोग्राम समन्वयक रेखा श्रीधर ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में बाल दुर्व्यापार या बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकना दशकों से एक बड़ी चुनौती है। यद्यपि सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर प्रयासों के कारण ट्रैफिकिंग के मामले दर्ज होने की संख्या बढ़ी है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना शेष है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हर घंटे नौ बच्चे लापता होते हैं,जबकि रोजाना आठ बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं। रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देश 77,535 बच्चे लापता हुए जो 2020 के मुकाबले 31 फीसद ज्यादा है।
संसद में एंटी-टैफिकिंग बिल शीघ्र पास कराये सरकार-
देश में बच्चों की ट्रैफिकिंग के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए कृषक सहयोग संस्थान के संस्थापक डॉ एच बी सेन ने कहा कि “यह तथ्य कि आज ज्यादा से ज्यादा लोग बच्चों के लापता होने की जानकारी देने सामने आ रहे हैं, अपने आप में एक बड़ा बदलाव है। यह इस बात का संकेत है कि जमीनी स्तर पर घर-घर जाकर हमने जो जागरूकता अभियान चलाया है। उससे लोगों की मानसिकता बदली है और सुखद नतीजे सामने आ रहे हैं । हालांकि सरकारें और कानून प्रवर्तन एजेंसियां पूरी मुस्तैदी से बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के प्रयासों में जुटी हुई हैं। लेकिन इस संगठित अपराध को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए एक कड़े एंटी-ट्रैफिकिंग कानून की सख्त जरूरत है। इसलिए सरकार संसद में एंटी-टैफिकिंग बिल शीघ्र पास कराए।
सांची आये दर्शनार्थियों ने की सराहना-
इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रदेशों से आए टूरिस्टो ने संस्था के कार्य की सराहना की। इनमें शिक्षाविद, कानून विद, सैनिक, संस्थाओं के प्रतिनिधि,जनप्रतिनिधि और जन सामान्य सम्मिलित हुए। संस्था के सहयोगी गोविंद नाविक,जगदीश शर्मा, राहुल यादव और प्रगति रैकवार ने दोपहर 2:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक यहां आने वाले सैलानियों को मानव व्यापार निषेध दिवस पर जागरूक किया जिला प्रमुख अनिल भवरे ने बताया कि आज लगभग 500 से अधिक टूरिस्टो ने हस्ताक्षर कर इस अभियान में से भागी हुए।