कानूनों के प्रवर्तन पर कार्यशाला-
जिम्मेदार अधिकारियों ने बाल विवाह,यौन हिंसा,बाल श्रम और बाल तस्करी पर जानकारी साझा की
- बालकानूनों के क्रियान्वयन पर सामूहिक प्रयास आवश्यक-एएसपी मीणा
- विवाह में जाने के पहले पूछें वर वधु बालिग हैं या नहीं-गहरवार
- जो स्कूल नहीं जाता वह हर बच्चा बाल श्रमिक-श्रम निरीक्षक दीक्षित
- पाक्सो में अपराध घटित होने की समभावना पर भी एफआईआर होती है-श्रीधर
रायसेन - केलास सत्यार्थी चिल्ड्रन फॉउंडेशन के सहयोग से जिले में कृषक सहयोग संस्था द्वारा कानूनों के प्रवर्तन पर विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय रायसेन में शनिवार को कार्यशाल आयोजित गई। कार्यशाला में बाल विवाह,बाल यौन हिंसा,बाल श्रम और बाल तस्करी कानूनों के प्रवर्तन पर जिम्मेदार अधिकारियों ने जानकारी साझा की। शुभारंभ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमृत मीणा,जनभागीदारी समिति अध्यक्ष मनोज कुशवाह,संस्था प्रमुख डॉ एच व्ही सेन और प्रशिक्षक रेखा श्रीधर ने किया। कार्यशाला में रायसेन और सागर से संस्था के सामुदायिक प्रवर्तनकर्ता और सरपंचों ने भाग लिया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में बाल अपराधों की निगरानी और त्वरित न्याय दिलाने के लिए मोबाईल भी दिए गए।
बाल विवाह सामाजिक बुराई है इसे सामाजिक जागरूकता से खत्म किया जा सकता है-मीणा
उदघाटन सत्र में एएसपी अमृत मीणा ने कहा कि बढ़ती आबादी के अनुसार पर्याप्त संसाधनों का सदैव अभाव रहा है। बाल विवाह के कारण अवसर की उपलब्ध न होने से प्रतिभाएं दब कर रह जाती हैं। ऐसे में उनका शारीरिक,मानसिक और सामाजिक विकास रुक जाता है। बाल विवाह,बाल श्रम बाल तस्करी जैसे कानून होने के बाद भी अपराध को खत्म नही किया जा सका। यह सामाजिक बुराईयां है इसे सामाजिक जागरूकता से हो खत्म किया जा सकता है।
विवाह में जाने के पहले पूछें वर वधु बालिग हैं या नहीं-गहरवार
महिला बाल विकास के जिला सहायक संचालक संजय गहरवार कहा बाल विवाह रोकना सिर्फ विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। यह बाल विवाह कानून एक सामाजिक बुराई और इसे मिलकर खत्म करना होगा। जो माता-पिता अपने पुत्र पुत्रियों का बाल विवाह करवाते है तो उन्हें 2 वर्ष का कारावास व 1 लाख रुपयों का दंड देने का प्रावधान है।
कानून बनाने में समर्थ है ग्राम सभा- डॉ सेन
उदघाटन सत्र में एएसपी अमृत मीणा ने कहा कि बढ़ती आबादी के अनुसार पर्याप्त संसाधनों का सदैव अभाव रहा है। बाल विवाह के कारण अवसर की उपलब्ध न होने से प्रतिभाएं दब कर रह जाती हैं। ऐसे में उनका शारीरिक,मानसिक और सामाजिक विकास रुक जाता है। बाल विवाह,बाल श्रम बाल तस्करी जैसे कानून होने के बाद भी अपराध को खत्म नही किया जा सका। यह सामाजिक बुराईयां है इसे सामाजिक जागरूकता से हो खत्म किया जा सकता है।
विवाह में जाने के पहले पूछें वर वधु बालिग हैं या नहीं-गहरवार
महिला बाल विकास के जिला सहायक संचालक संजय गहरवार कहा बाल विवाह रोकना सिर्फ विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। यह बाल विवाह कानून एक सामाजिक बुराई और इसे मिलकर खत्म करना होगा। जो माता-पिता अपने पुत्र पुत्रियों का बाल विवाह करवाते है तो उन्हें 2 वर्ष का कारावास व 1 लाख रुपयों का दंड देने का प्रावधान है।
जो स्कूल नहीं जाता वह हर बच्चा बाल श्रमिक- दीक्षित
कानूनों के प्रवर्तन पर कार्यशाला में श्रम निरीक्षक मयंक दीक्षित ने किसी समाज शास्त्री के हवाले से कहा कि प्रत्येक वह बच्चा जो स्कूल नहीं जाता वह बाल श्रम करता है। हमें ऐसे बच्चों को बालश्रम से मुक्त कर उनके मौलिक अधिकारों जैसे शिक्षा से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।पॉक्सो एक्ट एक संगेय अपराध-श्रीधर
पॉक्सो एक्ट पर जानकारी साझा करते हुए ट्रेनर आशा श्रीधर ने बताया पॉक्सो एक्ट एक संगे अपराध है जिसमें बच्चों पर होने वाले अपराध की संभावनाओं पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। बच्चों के शरीर को गलत इरादे से छूना या बच्चों के साथ गलत भावना से की गयी सभी हरकतें इस एक्ट में रेप की श्रेणी में रखी गई हैं। इन सभी को अपराधों में कड़ी सजा का प्रावधान भी है।
– पॉक्सो एक्ट 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रति यौन-अपराधों के प्रति बच्चों को संरक्षण प्रदान करता है।
– 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रति सभी यौन-अपराध पॉक्सो अधिनियम के तहत हैंडल किए जाते हैं। पोक्सो एक्ट के तहत बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों को मुख्यत दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है। – 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चो के प्रति यौन अपराध ,12 वर्ष से कम उम्र के बच्चो के प्रति रेप का आरोप सिद्ध होने पर पोक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास एवं मृत्युदंड का प्रावधान है। – 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के प्रति यौन अपराध – 16 वर्ष तक के नाबालिक बच्चो के प्रति यौन आरोप सिद्ध होने पर न्यूनतम 10 वर्ष एवं अधिकतम 20 वर्ष की कड़ी कैद का प्रावधान है। – नए बदलावों के जरिए इस और कड़ा बनाया गया है। अब केवल नाबालिग लड़कियां ही नहीं बल्कि नाबालिग लड़के (Minor Boy) भी इसके दायरे में लाए गए हैं. पहले नाबालिग लड़कों के प्रति होने वाले यौन-अपराधों के लिए प्रभावी कानून नहीं था।
कानून बनाने में समर्थ है ग्राम सभा- डॉ सेन
कृषक सहयोग संस्थान के अध्यक्ष डॉ एच बी सेन ने ग्राम सभा की शक्तियों का वर्णन करते हुए कहा कि यदि सरपंच थाम ले तो गांव को बाल विवाह बाल यौन शोषण और बाल मजदूरी से मुक्त किया जा सकता है। ग्राम सभा अपने ग्राम को आदर्श ग्राम बनाने के लिए कानून बनाने में समर्थ है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा रायसेन के 150 और सागर जिले के 150 गांवों में बच्चों तक न्याय को पहुचाने,बाल विवाह मुक्त ग्राम बनाने के निरन्तर जगरूकता कार्यक्रम किये जा रहे हैं।
जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष मनोज ने कहा समाजिक जागरूकता से अपराधों में कमी आएगी। कार्यकर्ताओं को सामाजिक स्तर पर जाति समाज संस्थाओं को एक्टिव कर अपराध कम करने का प्रयास किया जाता है। इसमें कार्यशाला में रायसेन जिला समन्वयक अनिल भवरे,सागर समन्वयक अनिल रैकवार सहित दोनों जिलों के 34 समाजिक परिवर्तन के साथियों ने भाग लिया।
जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष मनोज ने कहा समाजिक जागरूकता से अपराधों में कमी आएगी। कार्यकर्ताओं को सामाजिक स्तर पर जाति समाज संस्थाओं को एक्टिव कर अपराध कम करने का प्रयास किया जाता है। इसमें कार्यशाला में रायसेन जिला समन्वयक अनिल भवरे,सागर समन्वयक अनिल रैकवार सहित दोनों जिलों के 34 समाजिक परिवर्तन के साथियों ने भाग लिया।