शिशु मंदिर का वार्षिकोत्सव-
आजादी के बाद भारत की संस्कृति संस्कारों और आदर्श शिक्षा प्रणाली का संवर्धन करने का कार्य शिशु मंदिरों ने किया -महेश्वरी
आजादी के पहले मुगलों और अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और शिक्षा पद्धति को तहस नहस कर बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उक्त कथन विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री निखिलेश महेश्वरी ने व्यक्त किए वे नगर के वार्ड 23 स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने आगे कहा,स्वाधीनता के पश्चात भारत में भारत के आधार पर शिक्षा व्यवस्था लागू होना था, लेकिन वह संभव नहीं हो सका। क्योंकि मैकाले पुत्र ही उस शासन पर बैठे थे। इसलिए उन्होंने अंग्रेजों की शिक्षा को ही स्वीकार करके भारत में वह शिक्षा पद्धति लागू की। उसका दुष्परिणाम हम देखते हैं कि अंग्रेजों का गुणगान करने वाले लोग खड़े हो गए। भारत के गौरव को बताने वाले लोग खड़े नहीं हुए, भारत पर गर्व करने वाले लोग खड़े नहीं हुए। इसलिए संघ के कार्यकर्ताओं ने विचार किया और 1952 के अंदर गोरखपुर मे एक विद्यालय प्रारंभ किया गया जिसका नाम था सरस्वती शिशु मंदिर।आज देश भर में ऐसा कोई प्रांत नहीं है जहां सरस्वती शिशु मंदिर नहीं है। लाखों बच्चे विद्या अध्ययन कर रहे हैं और आज वह महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर रहे हैं।
बच्चों ने नृत्य कला,संस्कृति और योग की दी प्रस्तुति-
बच्चों ने देश के सुप्रसिद्ध नृत्य की प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का मन मोह लिया वही भारतीय कला और संस्कृति योग विज्ञान की मनोहारी प्रस्तुति का मंचन कर भारत की उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन किया विद्यार्थियों ने महाभारत में शिक्षा प्रदान कर रहे गुरु द्रोणाचार्य और शिक्षा प्राप्त कर रहे पांडव और करो पुत्र का संवाद अंग्रेजी में प्रस्तुत किया उन्होंने बताया कि यहां न सिर्फ भारतीय सनातन संस्कृति बल्कि संपर्क भाषा अंग्रेजी में भी शिक्षा दी जाती है।
विशिष्ट अतिथि नगर पालिका अध्यक्षा प्रियंका राजेन्द्र अग्रवाल एवं मण्डीदीप इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन के चेयरमेन राजीव अग्रवाल रहे।
उन्नतिशील समर्थ शिक्षा कल्याण समिति सचिव डाॅ.दीपेंद्र पाल ने विद्यालय प्रतिवेदन सभी के समक्ष प्रस्तुत किया एवं समिति के अध्यक्ष श्री जगदीश सोनी ने आभार व्यक्त किया।