ढाका विजय दिवस-
भारतीय सैनिकों के शौर्य पराक्रम को याद कर वीर हुतात्माओं को दी श्रद्धांजलि।
लोगों कोवीरों का पराक्रम याद दिलाने निकाली रैली,
रास्ते भर लगाए भारत माता और शहीदों की वीरता के जयघोष।
इतिहास साक्षी है भारत ने कभी पहले आक्रमण नही किया। लेकिन यदि किसी ने भारत पर आंख उठाई तो उसे कभी माफ नहीं किया। आज ढाका विजयी दिवस है,जो प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का दिन है। यह बात यह बात सरस्वती शिशु मंदिर समिति के सचिव दीपेंद्र पाल ने कही। वे सरस्वती शिशु मंदिर द्वारा ढाका विजय दिवस पर निकाली जा रही विजय यात्रा के समापन पर बोल रहे थे। उन्होंने आगे कहा 16 दिसम्बर 1971 को भारत के वीर सैनिकों ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी।
इस लिए आज 16 दिसम्बर का दिन सैनिकों के शौर्य को सलाम करने का दिन है। वीरता और शौर्य की मिशाल यह दिन भारतीय सैनिकों के पराक्रम की याद दिलाता है। आज के दिन सम्पूर्ण देश ढाका विजय दिवस के रूप में मानते हैं।विद्या भारती प्रतिष्ठान द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर के भैया बहनों ने ढाका विजय दिवस पर लगभग 2 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा निकाली। जिस का समापन पटेल नगर स्थित वीरांगना अवंती बाई की प्रतिमा के सामने किया गया।
इस पर शिशु मंदिर के आचार्य चंद्रेश ने कहा यह ऐतिहासिक जीत आज भी देशवासियों के मन में एक उमंग भर देती है । इस युद्ध में 3900 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुये थे। लेकिन भारतीय सैना ने पाकिस्तान के 93000 सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिये मजबूर कर दिया था। आज के ही दिन 1971 में हमारे वीरों ने युध्द में विजय की घोषणा की गई थी।
ढाका विजय दिवस पर शिशु मंदिर के भैया बहन शहीद हुतात्मओं को श्रृद्धासुमन अर्पित करने और लोगों को सैनिकों की वीरता और हुतात्माओं के बलिदान को याद दिलाने के लिए विशाल रैली के रूप में निकले। अपने विद्यालय से रानी अवंती बाई स्मारक तक घोष (बैण्ड) के साथ घोष की ताल पर कदम से कदम मिलाकर मार्चपास्ट करते पहुंचे। आगे आगे सुसज्जित वेश में घोष वादक उनके पीछे भैया बहन स्कूली गणवेश में चल रहे थे। बैंड की धुन के साथ कदम ताल करते हुए जब भैया बहनों की रैली निकली तो नगर वासियों ने पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया भैया बहन वीर शहीदों की जय और ढाका विजय दिवस अमर रहे के नारे लगाते हुए चल रहे थे। श्रृद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे। यहां भारत माता की आरती की गई। इसके बाद अतिथियों दीदियों और बच्चों ने ढाका युद्ध में शहीद हुए वीर सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
इस पर शिशु मंदिर के आचार्य चंद्रेश ने कहा यह ऐतिहासिक जीत आज भी देशवासियों के मन में एक उमंग भर देती है । इस युद्ध में 3900 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुये थे। लेकिन भारतीय सैना ने पाकिस्तान के 93000 सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिये मजबूर कर दिया था। आज के ही दिन 1971 में हमारे वीरों ने युध्द में विजय की घोषणा की गई थी।
ढाका विजय दिवस पर शिशु मंदिर के भैया बहन शहीद हुतात्मओं को श्रृद्धासुमन अर्पित करने और लोगों को सैनिकों की वीरता और हुतात्माओं के बलिदान को याद दिलाने के लिए विशाल रैली के रूप में निकले। अपने विद्यालय से रानी अवंती बाई स्मारक तक घोष (बैण्ड) के साथ घोष की ताल पर कदम से कदम मिलाकर मार्चपास्ट करते पहुंचे। आगे आगे सुसज्जित वेश में घोष वादक उनके पीछे भैया बहन स्कूली गणवेश में चल रहे थे। बैंड की धुन के साथ कदम ताल करते हुए जब भैया बहनों की रैली निकली तो नगर वासियों ने पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया भैया बहन वीर शहीदों की जय और ढाका विजय दिवस अमर रहे के नारे लगाते हुए चल रहे थे। श्रृद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे। यहां भारत माता की आरती की गई। इसके बाद अतिथियों दीदियों और बच्चों ने ढाका युद्ध में शहीद हुए वीर सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
इस अवसर पर विद्या भारती मध्य प्रांत के प्रांतीय अधिकारी मुरलीधर धर्मवाणी, समाजसेवी नरेंद्र मैथिल विद्यालय की दीदीयों ने भारत माता की वंदना कर वीरों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।