पश्चात संस्कृति के अंधानुकरण में माता पिता के उपकार न भूलें- बहन प्रतिमा
माता पिता पूजन दिवस 14 फरवरी श्री योगवेदन्त सेवा समिति द्वारा संत श्री आशाराम आश्रम में हुआ आयोजन
बच्चों ने माता पिता की उतारी आरती की चरण वंदना
बापू की शिष्या बहन प्रतिमा ने भारतीय संस्कृति में प्रकृति,पशु व मानव प्रेम के महत्व को समझाया |
साध्वी बहन प्रतिमा ने आगे कहा कि हमारी संस्कृति हमें प्रतिपल प्रेम करने के लिए प्रेरित करती है। वह प्रेम दिखावटी नहीं आत्मीय होता है। जो हमें समर्पित होना कृतज्ञ होना सिखाता है। उन्होंने प्रवचनों में माता पिता पूजन दिवस के महत्व और आज के परिवेश में इसकी अनिवार्यता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संत श्री आसाराम जी बापू ने भारतीय संस्कृति पर पाश्चात्य संस्कृति के हावी होने से युवा पीढ़ी को इस दूषित मानसिकता वाली संस्कृति का अंधानुकरण करने से होने वाले दुशपरिणामों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि हमारा प्रथम कर्तव्य अपने माता पिता के प्रति है। कोई माता पिता से अधिक आपको प्रेम नही कर सकता। लेकिन पश्चात संस्कृति के कारण हम माता पिता और अपनों से दूर हो रहे हैं। परिवार टूट कर बिखर रहे हैं। परस्पर प्रेम बनावटी होने के साथ खत्म होता जा रहा है। हमारे परिवार समाज और राष्ट्र के लिए है। उन्होंने भारतीय संस्कृति के पोषक संस्कारों को घर में पहुंचाने के साथ ही बच्चों में सुसंस्कार की स्थापना करने के उद्देश्य से इस दिन को मनाने का संकल्प लिया। उनके प्रयासों से आज 14 फरवरी को माता पिता दिवस के रूप में भारत ही नहीं भारतीय संस्कृति को मानने वाले लोग वैश्विक स्तर पर मनाते हैं। योग वेदांत सेवा समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में गोविंद सिंह लोवंशी,सचिब संतोष सेन,धारा सिंह पाल,अरुण बरवड़े,रामनिवास सेजकर सहित कार्यकर्ता उपस्तिथि रहे।