भारत की एकता और अखंडता के लिए बाबा साहब का योगदान सदैव स्मरणीय- सत्यधारी
बाबा साहब के महापरिनिर्वाण दिवस पर में भाषण,परिचर्चा और संवाद
बण्डा सागर- बाबा साहब भाीम राव अम्बेडकर भारतीय संविधान के जनक के रूप में लोकप्रिय है। संविधान में अल्पसंख्यकों के कल्याण को ध्यान में न रखने के कारण वे बहुत दुखी थे उन्होंने यह तक कह दिया था कि एसे संविधान को जला देना चाहिए जिसमंे दलितों आर्थिक सामाजिक रूप से पिछडे अल्पसंख्यको को न्याय व समानता का अधिकार न दिला सके। उक्त विचार वरिष्ठ समाज सेवी डालचंद सत्यधारी ने दादा लखमीचंद जैन षिक्षण समिति द्वारा महापरिनिर्वाण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम वार्ड नं 7 में संचालित जैन इंस्टीट्यूट प्रॉगण में आयोजित किया गया। महापरिनिर्वाण दिवस पर भाषण, संविधान में न्याय समानता और अधिकारों व कर्तव्यों पर परस्पर संवाद किया गया।
अतिथि वक्ता सचिन अहिरवार नें कहा कि संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ अम्बेडकर नें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से मना कर दिया था। क्योंकि उन्हें लगा कि यह भेदभावपूर्ण और एकता और अखंडता के सिद्धांतों के खिलाफ है।
अंकिता जैन ने कहा कि डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को 1947 में प्रथम कानून और न्याय मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। वे शासन प्रषासन में महिलाओं की समान भागीदारी के पक्षधर थे। महिला अधिकार विधेयक खारिज होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
संस्था संचालक आषीष असाटी नें कहा कि भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की आज पुण्यतिथि है। उनका निधन सन्न 1956 में 6 दिसंबर के दिन हुआ था। इस दिन को हम सब महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाते है।
इस अवसर पर धर्मेंन्द्र रजक नवनीत जैन ने भी संबोधित किया।
समापन पूर्व भाषण प्रतियोगिता के प्रभिागियों को प्ररस्कार व प्रमाण पत्र वितरित किए गए। बाबा साहब के जीवन पर आधारित परिचर्चा और परस्पर संवाद कार्यक्रम में 50 से अधिक विद्यार्थीयों व युवाओं ने भाग लिया। सभी को प्रमाण पत्र दिए गए।