लखनऊ| कोयले की कमी से उत्तर प्रदेश में चल रहा बिजली संकट आने वाले दिनों में और भीषण हो सकता है। पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों के मुताबिक 15 अक्टूबर से पहले कोयले की सप्लाई में किसी भी तरह का सुधार होता नहीं दिख रहा है। उमस और बिजली की मांग बढ़ने की वजह से प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों में भयंकर रूप से बिजली की कटौती हो रही है। ग्रामीण इलाकों में घोषित रूप से 4 से 5 घंटे की कटौती हो रही है, तो शहरी उपभोक्ताओं को भी अघोषित रूप से घंटों तक बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है।
हो सकती है घोषित कटौती
हालात इसी तरह रहे तो शहरों में भी घोषित कटौती करनी पड़ सकती है। प्रदेश में मौजूदा समय में बिजली की मांग 20,000 से 21,000 मेगावॉट के बीच है। वहीं सप्लाई सिर्फ 17,000 मेगावॉट तक हो पा रही है। सबसे अधिक बिजली कटौती पूर्वांचल और मध्यांचल के ग्रामीण इलाकों में हो रही है।
20 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंचे दाम
प्रदेश में बिजली संकट दूर करने के लिए पावर कॉरपोरेशन को एनर्जी एक्सचेंज से 15-20 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली खरीदनी पड़ रही है। बिजली की कीमत अधिक होने के कारण पावर कॉरपोरेशन ज्यादा मात्रा में एक्सचेंज से बिजली नहीं खरीद पा रहा है।पावर कॉरपोरेशन को बिजली देने वाले 8 पावर प्लांट मौजूदा समय में कोयले की कमी की वजह से बंद चल रहे हैं। वहीं 6 पावर प्लांट अन्य तकनीकी वजहों से बंद हैं। कोयले की कमी से जो पावर प्लांट बंद चल रहे हैं, उनसे पावर कॉरपोरेशन को 2700 मेगावाट बिजली मिलती है।
आगे और बढ़ सकता है संकट
पावर कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, आने वाले दिनों में ये बिजली कटौती और बढ़ सकती है। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि उत्पादन निगम के कई पावर प्लांट हैं जिनका कोयले का पेमेंट बकाया है। दरअसल कोयले की कमी को देखते हुए कोल कंपनियों ने यह तय किया है कि उन पावर प्लांटों को कोयला प्राथमिकता के आधार पर दिया जाएगा। यानी जिन पावर प्लांटों का पेमेंट होगा, उन्हें पहले कोयले की सप्लाई की जाएगी।
'पारवर कॉरपोरेशन की नीतियां गलत'
बिजली संकट के लिए अभियंता संघ ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। अभियंता संघ ने महासचिव प्रभात सिंह ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन में टाटा पावर, पीडब्लूसी, मारकाडोज, अर्न्स्ट एंड यंग समेत कई कंसल्टेंट और तमाम प्रकार के पोर्टलों पर करोड़ों रुपये की फिजूलखर्ची की जा रही है।
प्रदेश को खरीदनी पड़ रही महंगी बिजली
वहीं, दूसरी ओर उत्पादन निगम में कोयले का भुगतान न होने के कारण पावर प्लांटों में कोयले का संकट हो गया है। इसकी वजह से सरकारी क्षेत्र के बिजली घरों से कई मिलियन यूनिट्स का उत्पादन नहीं हो पा रहा है और प्रदेश को महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। इससे कॉरपोरेशन को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। अभियंता संघ ने विद्युत उत्पादन गृहों को पूरी क्षमता से चलाने के लिए मुख्यमंत्री को एक विस्तृत पत्र के माध्यम से आवश्यक निर्देश जारी करने की अपील की है।
ये पावर प्लांट चल रहे हैं बंद:-
ललितपुर यूनिट- 2660 मेगावॉट
ललितपुर यूनिट- 3660 मेगावॉट
रोजा यूनिट- 2300 मेगावॉट
ऊंचाहार यूनिट- 6190 मेगावॉट
हरदुआगंज यूनिट- 9250 मेगावॉट
पारीछा यूनिट- 4210 मेगावॉट
पारीछा यूनिट- 5250 मेगावॉट
हरदुआगंज यूनिट-7105 मेगावॉट