नई दिल्ली भारत और चीन के बीच 13वें राउंड की बातचीत के बाद भी बॉर्डर पर तनाव बना हुआ है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भविष्य में पूर्वी लद्दाख के लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर टकराव की संभावना और बढ़ सकती है। यह भी संभव है कि बीजिंग बातचीत को नियमित न रखे।
बॉर्डर पर चीन द्वारा सेना की अधिक तैनाती के बाद से डिसइंगेजमेंट प्लान को लेकर भारत बहुत भरोसा नहीं कर पा रहा है। उलटे चीन ने बॉर्डर पर तनाव को लेकर भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि भारत की मांगें 'अनुचित' हैं। द प्रिंट की एक रिपोर्ट बताती है कि भविष्य में गलवान जैसे हिंसक संघर्ष फिर से हो सकते हैं। प्रिंट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि आने वाली सर्दी भारतीय सैनिकों के लिए मुश्किल भरी हो सकती है। मार्च-अप्रैल 2022 में एक बार फिर बॉर्डर पर हिंसक संघर्ष संभव है। और अबकी चीन अपना नजरिया भी बदलते नजर आ सकता है।
20 महीने के बाद भी बातचीत कहीं नहीं पहुंची
बता दें कि अप्रैल-मई 2021 से पूर्वी लद्दाख में स्टैंडऑफ की स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों ने इसे सुलझाने के लिए तीन स्तर पर काम कर रहे हैं। विदेश मंत्रियों के साथ ]बातचीत, डिप्लोमैटिक बातचीत और मिलिट्री स्तर पर बातचीत। इस सबके साथ ही दोनों देशों के टॉप सुरक्षा सलाहकारों के बीच भी बातचीत हुई है लेकिन 20 महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी मामला सुलझता नहीं दिख रहा है।
हालांकि पैंगोंग त्सो और गोगरा पोस्ट क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट हुई है लेकिन हॉट स्प्रिंग्स, देपसांग और डेमचोक इलाके में अब भी गतिरोध जारी है। रिपोर्ट बताती है कि इस सर्दी में एक बार फिर दोनों देश बॉर्डर पर बढ़त की दिशा में आगे बढ़ेंगे लेकिन भारतीय सेना चुनौती का सामना करने को पूरी तरह से तैयार है।
भारत का कड़ा रुख
11 अक्टूबर को हुए हुए आखिरी वार्ता में दोनों देशों ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है। मसले को सुलझाने के लिए भारत के सुझावों पर चीन ने अपनी ना कर दी है। चीन ने कहा है कि भारत की मांगे अनुचित और वास्तविकता से परे है।
बीजिंग में भारत के राजदूत रहे गौतम बंबावाले ने बताया है कि पिछले डेढ़ सालों से भारत और चीन के संबंध संबंध खराब हो गए हैं। यह भविष्य में भी बिगड़ती दिखाई दे रही है। भारत को इस बदलाव के लिए तैयार रहना होगा। पिछली बार की तुलना में भारतीय सेना अबकी बेहतर तरीके से तैयार है।
भारत को शांति की बात बंद कर देनी चाहिए?
सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज के फेलो रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा बताते हैं कि हॉट स्प्रिंग्स और डेमचोक में चुनौती बनी हुई है। चीन ने इसे संप्रभुता का मुद्दा बना दिया है। पहले वे इसे क्षेत्रीय मुद्दा बता रहे थे। यह चिंताजनक है। इतिहास में चीन के साथ ऐसे हालात नहीं हुए हैं। तवांग सहित कई और इलाकों में हालात खराब हो रहे हैं। हमें हर वक्त शांति की बात करनी बंद कर देनी चाहिए।