रायपुर | नवरात्र के आखिरी दो दिन अष्टमी-नवमीं तिथि पर कन्याओं को पूजने की मान्यता के चलते घर-घर में कन्याओं की पूजा की गई। बुधवार को अष्टमी तिथि पर कन्याओं की खूब पूछपरख हुई। जिस घर में भी कन्या होने की जानकारी होती, अड़ोसी-पड़ोसी वहां पहुंचकर उनके माता-पिता से अनुरोध करके अपने घर कन्या को आमंत्रित करते।
हर घर में कन्याओं की ऐसी आवभगत हुई कि कई परिवारों में ढूंढने से भी कन्याएं नहीं मिल सकी। जिन आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रतिदिन 25-30 कन्याएं और छोटे बालक पहुंचते थे, वहां एक भी बच्चा नहीं पहुंचा। इसके चलते ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लटका मिला। एकाध केंद्र खुले थे, लेकिन वहां भी कोई बच्चा नहीं आया।
एक भी बच्चा-बच्ची नहीं पहुंचे
बुधवार को अनेक मुहल्लों के आंगनबाड़ी केंद्रों का जायजा लिया, तो ज्यादातर आंगनबाड़ी बंद थे और ताला लटका था। देवेंद्र नगर में एक आंगनबाड़ी केंद्र खुला अवश्य था पर वहां एक भी बच्चा नहीं था। आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता ने बताया कि आंगनबाड़ी में प्रतिदिन 25 बच्चे-बच्चियां आते हैं।
चूंकि नवरात्र में कन्या पूजन के लिए बच्चियों को घर-घर में बुलाया जाता है और बच्चियों को उपहार स्वरूप रुपये, खिलौने, पाठय सामग्री, श्रृंगार सामग्री मिलती है, इसलिए आज कोई भी बच्चा नहीं आया। इसी तरह फाफाडीह, के चूना भठ्ठी, देवेंद्र नगर, त्रिमूर्ति नगर, फोकटपारा, डंगनिया, बैरनबाजार के आंगनबाड़ी केंद्र बंद नजर आए। आसपास के लोगों ने बताया कि अष्टमी को सारे बच्चे कन्या पूजन में गए हुए हैं, नवमीं को भी कोई नहीं आएगा।
हर केंद्र में पौष्टिक भोजन
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला परियोजना अधिकारी अशोक पांडेय ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को सुपोषित रखने के लिए दाल, चावल, रोटी, सब्जी, दूध, केला देने का प्रविधान है। सप्ताह में तीन दिन रेडी टू ईट पैकेट भी देते हैं। अष्टमी-नवमी को महिलाएं पूजा करतीं हैं, इसलिए ज्यादातर केंद्र नहीं खुले। जरूरतमंद महिला, बच्चों को घर तक पौष्टिक भोजन पहुंचाने की व्यवस्था है।