भोपाल । त्योहारी सीजन में इस बार बिजली की लगातार आपूर्ति पर संशय की स्थिति है। इसकी एक नहीं, कई वजह सामने आ रही है। रिकॉर्डतोड़ बिजली की डिमांड और आपूर्ति उसके मुकाबले आधी भी नहीं। इसका प्रमाण शहरभर में अघोषित रूप से हो रही बिजली कटौती तो है ही, वहीं बिजली कंपनी भी इस कटौती को चाहकर भी नहीं छुपा पा रही।
बिजली कंपनी के कॉल सेंटर में अधिकृत रूप से 14 दिन में छह हजार से ज्यादा उपभोक्ताओं ने फॉल्ट की शिकायत की है। कॉल सेंटर व्यस्त होने पर हजारों की संख्या में तो उपभोक्ताओं की शिकायत दर्ज ही नहीं हो पाई। वहीं प्रदेश में मांग 10 हजार मेगावॉट पहुंचने पर भोपाल संभाग के जिलों को कटौती के लिए तैयार रहने को भी कहा गया है।
मौसम बिगाड़ रहा बिजली आपूर्ति
दो साल से अक्टूबर में भी बारिश हो रही थी। तापमान 30 डिग्री से नीचे था। तालाब भी पूरी क्षमता से भरे हुए थे। इस कारण बिजली की डिमांड 550 से 600 मेगावॉट के बीच आ रही थी। 500 मेगावॉट तक आपूर्ति होने से भी काम अच्छे से चल रहा था। इस बार डिमांड बहुत ज्यादा है। जून से अक्टूबर तक बिजली की डिमांड बारिश के बावजूद कम नहीं हो रही थी। जुलाई, अगस्त सूखे रहे तो बोरिंग, कुएं से सिंचाई की नौबत आ गई थी। इस कारण शहर के अलग-अलग हिस्सों में बिजली बंद भी हो रही थी।
ट्रांसफॉर्मर का ऑडिट इस बार नहीं किया
बिजली कंपनी ने कागजों में 3 से 4 करोड़ रुपए खर्च कर कागजी मेंटेनेंस तो कर दिया, लेकिन असल में कॉलोनी, मोहल्ले में लगे ट्रांसफॉर्मर अपडेट नहीं किए। ट्रांसफॉर्मर में बिजली सप्लाई पुराने लोड के हिसाब से की जा रही है, जबकि ट्रांसफॉर्मर पर भार इससे ज्यादा पड़ रहा है। नतीजा यह कि डिमांड ज्यादा होने पर फॉल्ट हो रहे हैं। बार-बार सुधार की जरूरत होती है।
लाखों उपभोक्ता नहीं भर रहे बिल
वितरण कंपनियों को बिजली लेने के एवज में ट्रेडिंग कंपनी को नौ हजार करोड़ रुपए चुकाना हैं। दरअसल, सरकारी योजनाओं में बांटी जा रही बिजली का पैसा सरकार वितरण कंपनी को नहीं दे रही है। इस वजह से वितरण कंपनी लगातार कर्ज में डूूबती जा रही है। वहीं बिजली उत्पादन कंपनी को भी उत्पादन के बदले भी पैसा नहीं मिल रहा है। बिजली कंपनी उन इलाकों में भी अघोषित रूप से बिजली बंद कर रही है, जहां पर बिलिंग सौ फीसदी नहीं हो रही।