तरोई की एक प्रजाति यह झुमक तुरुइया भी?
०-- बाबूलाल दाहिया
जी हां यह झुमक तरोई है। आप ने कई महिलाओं को कान में झुमका पहने देखा होगा। 60-70 के दशक में तो
"झुमका गिरा रे बरेली के बजार मा "
नामक झुमका पर एक फिल्मी गीत ही काफी पापुलर हो गया था। किन्तु उस झुमका को कान में पहनने लायक बनाने की स्वर्णकार की परिकल्पना का श्रेय जाता है इस झुमक तरोई को जो 4--5 के गुच्छे में फल देती है।
यह तो गोल है पर इसकी लम्बे फलों के गुच्छे वाली एक अन्य किस्म भी होती है।
पकने पर इसका फल सूख कर चित्र की तरह सफेद हो जाता है जिसके अन्दर खुरदरा रेशा निकलता है और उसका उपयोग महिलाए अपने सोने चाँदी के आभूषण चमकाने में करती हैं।
इसकी तरकारी क्वार से अगहन तक खाई जाती है।
पर अब तमाम सब्जिओं की हाईब्रीड किस्मे आजाने के कारण यह परम्परागत किस्म विलुप्तता के कगार पर है।