फार्मासिस्ट की एक वार्षिक वेतनवृद्धि भी असंचयी प्रभाव से रोकी गई
फार्मासिस्ट को हटाया गया
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा हस्तक्षेप करने पर सतना जिले के एक मामले में शासकीय अस्पताल के फार्मासिस्ट द्वारा एक्सपायरी लेप्स हुए बिना स्टाक की दवा बाहर फेक देने पर उससे 15,509.92 रूपये की वसूली की जायेगी। फार्मासिस्ट की एक वार्षिक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोक दी गई है और उसे तत्काल हटा दिया गया है। इस बारे में मिली शिकायत का अंतिम निवारण हो जाने पर आयोग में यह मामला अब नस्तीबद्ध कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि सतना जिले के उचेहरा निवासी श्री रमेश कुमार गोंड ने 24 अगस्त 2020 को आयोग को एक शिकायत प्रेषित की, जिसमें उन्होने लिखा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, रामपुर बघेलान में लाखों रूपये की मूल्य वाली दवाईयां कचरे में फंेक दी गई। जिसकी एक्सपायरी डेट 2028 तक थी। आवेदन ने लिखा कि गरीब लोग उपचार के लिए आते है, परंतु उन्हें कह दिया जाता है कि बाहर से खरीद लो, दवाईयां स्टाक में नही है, जबकि दवाईयांे को कचरे में डाल दिया जाता है और ऐसा करीब 02-04 सालों से हो रहा है। आवेदक ने मानव अधिकार आयोग से गरीबों के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ एवं उनके अधिकारों के हनन के संबंध में समुचित कार्यवाही करने का अनुरोध किया। शिकायत मिलने पर आयोग द्वारा मामला दर्ज कर प्रकरण क्रमांक 5008/सतना/2020 में कलेक्टर सतना से प्रतिवेदन मांगा गया। आयोग द्वारा मामले की निरंतर सुनवाई की गई। इस पर क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवायें, रीवा संभाग, रीवा ने 06 अगस्त 2021 को आयोग को अवगत कराया कि आवेदक की शिकायत पर जांच कराई गई। जांच में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, रामपुर बघेलान में पदस्थ फार्मासिस्ट ग्रेड-02 श्री जितेन्द्र सिंह को दोषी पाया गया। इस पर फार्मासिस्ट श्री जितेन्द्र सिंह से मेडीसिन स्टाॅक के भौतिक सत्यापन में कम पाई गई दवाईयों (जिनका मूल्य 15,509.92 रूपये पाया गया) की पूरी कीमत की वसूली करने की आदेश जारी कर दिये गये हैं। दोषी पाये गये फार्मासिस्ट की आगामी एक वार्षिक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोक दी गई है। साथ ही दोषी फार्मासिस्ट को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, रामपुर बघेलान से तत्काल हटाकर अन्यत्र पदस्थ कर दिया गया है।