चड़ीगढ़ । शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान ‘गल पंजाब दी’ पर कुछ दिनों के लिए रोक लगाकर किसान नेताओं पर टकराव का आरोप लगाया है।पार्टी ने मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के लिए अकालियों के ‘निरंतर समर्थन’ की बात दोहरकर कहा कि कुछ किसान नेता नहीं चाहते हैं कि किसानों की समस्याओं का हल निकल सके। उन्होंने कहा शिरोमणि अकाली दल के कार्यक्रम में किसानों के एक समूह ने कथित तौर पर जबरन घुसने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि ये सभी प्रदर्शनकारियों के वेश में गुंडे थे।
भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल ने अकाली नेतृत्व की टिप्पणी पर निराशा व्यक्त की है।उन्होंने कहा,उनका (अकाली) का कोई लेना-देना नहीं है।वे केवल कृषि आंदोलन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर उन्हें मोर्चा के साथ कोई सहानुभूति होती,तब उन्हें (हमारे साथ) संपर्क करना चाहिए था।उन्होंने कहा, अगर उनके किसी भी कार्यकर्ता के साथ कुछ भी गलत हुआ तब उन्हें एक बार बात तो करनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि अकाली दल केवल किसान आंदोलन को कमजोर करने के उद्देश्य से ‘दोषपूर्ण खेल’ में लिप्त है।अकाली दल के किसान विंग के महासचिव गुरप्रताप सिंह वडाला ने कहा, यह सब अकाली दल के खिलाफ किसान नेताओं का पक्षपातपूर्ण व्यवहार है।राजेवाल जो कह रहे हैं, पूरी तरह से गलत है।आरोप-प्रत्यारोप के खेल में शामिल होने के बजाय राजेवाल को माफी मांगनी चाहिए। उन्हें भी इस बात की जानकारी है कि दिल्ली में 17 सितंबर के अकाली के विरोध मार्च के दौरान कृषि कानून के प्रदर्शन की आड़ में गुंडों ने अकाली नेताओं के साथ क्या किया।
वडाला ने कहा, अकाली का रास्ता रोकने वाले गुंडों ने न केवल अकाली कार्यकर्ताओं को धमकाया बल्कि उन्हें गालियां दीं और उनका मजाक उड़ाया।किसान नेताओं की ओर से जिस तरह का व्यवहार किया गया उससे सिखों की धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंची है।ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ एजेंसियां या समूह अकाली दल को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं।वडाला ने कहा कि बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और अकाली दल के कृषि कानूनों को लेकर भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया।इसके बावजूद तीनों कृषि कानूनों के लिए अकाली दल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।