समाज के महापुरुषों का जीवन परिचय
हरदा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री रामेश्वर उमराव अग्नि भोज
श्री रामेश्वर उमराव अग्नि भोज |
जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है जिसमें स्वदेश सहित प्यार नहीं।
वीर आखाजी,भाना जी के वंशजों ने सदैव ही कतिया समाज का नाम रौशन किया है। यह हमारे लिए बड़ा ही गौरव का विषय है कि हम एसे वीरों के वंशज हैं। देश की आजादी में लाखों वीरों में अपने प्रणों की आहूती दी। उनमें से कुछ वीरों के नाम ही स्वतंत्रता समर के योद्धाओं के रूप में अंकित लिखित या प्रमाणित है। बाकी अगणित वीरों के त्याग और बलिदान को इतिहासकारों ने भुला दिया।
पुस्तक हरदा और स्वतंत्रता संग्राम तथा होशंगाबाद जेल में एक पाषाण पट्टिका पर कतिया समाज के 4 महापुरुषों के नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची में अंकित है। आज 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्हें याद करते हुए हम गौरवान्वित हैं।
उनके जीवन के विषय में और अधिक जानकारी अपेक्षित है। संक्षिप्त परिचय जिन महापुरुषों का मिल सका है,उन्हें प्रकाशित किया जा रहा है।
इस क्रम में और अधिक जानकारी के साथ समाज के महापुरुषों का जीवन परिचय प्रकाशित किया जाता रहेगा। पुनः 75 में स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं ! संपादक
पार्लियामेंट ऑफ राज्य सभा 1957 की किताब Hos,s hou 1957 का अंश |
देश को आजाद कराने में अंग्रेजों से लोहा लेने वालों में हरदा के 100 से ज्यादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का नाम शामिल है। आजादी की लड़ाई में हरदा तहसील तत्कालीन होशंगाबाद जिले की स्वतंत्रता संग्राम में अतिसक्रिय तहसील मानी जाती थी। उस समय न केवल हरदा बल्कि उसके आसपास के कई ऐसे गांव हैं, जहां बड़ी संख्या में सेनानी आजादी की लड़ाई कर रहे थे। हरदा तहसील के अलावा, बहुत छोटे छोटे गांव, हीरापुर, बीड़, छीपाबड़ चारुवा, सोडलपुर, नयागांव, मसनगांव, टिमरनी, कडोला में भी बड़ी संख्या में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सक्रिय रहे। होशंगाबाद जिला गजेटियर 1979 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची में 100 से ज्यादा नाम दर्ज हैं। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हरदा वह जगह थी जहां सबसे पहले पुलिस विद्रोह हुआ। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और विदेशी कपड़े के बहिष्कार जैसे आंदोलनों में हरदा के स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों ने सक्रिय भागीदारी की। हरदा के कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली।
उन महापुरूषों में से एक है श्री रामेश्वर उमराव अग्नि भोज
जन्म मसनगॉव 23 मई 1911 परलोगमन -15.031987
मसनगांव के कोटवार कतिया परिवार में 23 मई 1911 को श्री रामेश्वर अग्निभोज का जन्म हुआ। आपके पिता उमराव जी ने आपकी प्रतिभा को देखते हुए अभावों के बाद भी शिक्षा का प्रबंध किया। आप की प्रारंभिक शिक्षा हरदा में हुई। आप काशी और नागपुर विश्वविद्यालयों से बी ए.,एल एल बी. तक की शिक्षा अपने प्राप्त की। आप बचपन से ही राष्ट्रीय गतिविधियों में राष्ट्रीय बालक मंडल के सदस्य के रूप में सक्रिय रहे और साइमन कमीशन के समय कांग्रेस आंदोलन में भाग लिया। सन 1932 में धारा 140 तोड़ने पर हुए लाठीचार्ज में घायल हुए। बाद में पोस्ट ऑफिस पिकेटिंग में छह माह की सजा हुई,जो जबलपुर जेल में काटी। बाद में आपने हरदा में वकालत शुरू की। आप सन 1940- 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में दो बार गिरफ्तार हुए। पहली बार छह माह की सजा तथा दूसरी बार 9 माह की सजा हुई। सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ्तार होकर आप को 1 वर्ष की सजा हुई। सन 1937 के चुनाव में आम विद्यार्थी रहते हुए विधायक चुने गए। आप ने 1946 से 1952 तक मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री के रूप में लोक निर्माण मंत्रालय संभाला। सन 1952 से 1958 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती गुलाब बाई सन 1957 के चुनाव में विधायक चुने गई। आपने गांधीजी के रचनात्मक कार्यक्रमों में से हरिजनोंद्धार के कार्यक्रम को विशेषतः अपनाया। सन 1962 में आप स्वयं दमोह सुरक्षित क्षेत्र से विधायक चुने गए। आप बहुत मिलनसार हंसमुख रखे थे। इसी कारण स्कूली जीवन में ही बंधु नाम से पुकारे गए।
चित्र में श्री पुरषोत्तम दास टंडन,श्री लालबहादुर शास्त्री जी,श्री जगन्नाथ मिश्र के साथ श्री रामेश्वर अग्निभोज जी |
सभार - पुस्तक हरदा और स्वतंत्रता संग्राम से |