एकय साधे सब सधे,सब साधे सब जाय।
इस चित्र न.1 में राम लोटन कुशवाहा है एवं न. 2 में उनके गांव की कच्ची सड़क है जिनसे मिलने के लिए इन दिनों प्रदेश के मंत्रियों , नेताओ का तांता लगा रहता है।
रातों रात इंजीनियर गांव की सड़क बना रहे है। हैंड पम्प मैकेनिक सारे गाँव के बिगड़े हैंड पम्प सुधार रहे है।
पर यह सब क्यो हो रहा है? यह इसलिए हो रहा है कि बैद्य राम लोटन कुशवाह जी की प्रधान मंत्री जी ने मन की बात में मुक्त कंठ से प्रशंसा की है।
उनके तरह के संग्रहालय बनाने की अन्य लोगो को भी सलाह दी है।
राम लोटन कोई बहुत बड़े बैद्य भी नही बल्कि गाँव के चुटुक बैदिया करने वाले बैद्य है। पर उनकी विशेषता यह है कि
" जब उनने देखा कि अनेक जड़ी बूटियां जो पहले आशानी से मिल जाती थीं वह अब नही मिलती ?" तो उनने उन्हे अपनी बाटिका में लगा लिया। और उनसे इस प्रकार भावनात्मक लगाब बढ़ा कि न सिर्फ जड़ी बूटियां बल्कि उन सैकड़ो जड़ी बूटियों की प्रजातियां तक गागर में सागर की तरह उनके थोड़े से क्षेत्र में ही लहलहाने लगीं। जिससे कहावत बन गई कि
" जो कही न मिले वह राम लोटन की बगिया में।"
राम लोटन से यह शिक्षा तो मिलती ही है कि, जब कोई अच्छा काम करता है तो उससे सारा गाँव लाभान्वित एवं सम्मानित होता है। पर उसके विपरीत बुरा काम करने से कभी कभी सारे गाँव के ऊपर कलंक का टीका भी लग जाता है।
पद्मभूषण विभूषित बाबूलाल दहिया जी की कलम से