शिक्षा विभाग में ट्रांसफर का खेल...
विभागीय पाेर्टल अपडेट नहीं,डीईओ,बीईओ के नाेटिस बाेर्ड पर भी खाली जगहाें की सूची नहीं
- रविवार का अवकाश कई शिक्षकाें काे जनकारी ही नहीं
- सोमवार को प्रभारी मंत्री से ट्रांसफर की सूची का अनुमाेदन कराने की आशंका
हरदा। सरकार ने ट्रांसफर चाहने वाले शिक्षकाें के लिए आवेदन लेने के आदेश जुलाई के पहले सप्ताह में जारी कर दिए। 13 जुलाई से हरदा डीईओ में आवेदन जमा हाेने लगे हैं। 18 जुलाई आवेदन की आखिरी तारीख है। वस्त्विकता यह है कि विभाग ने एजुकेशन पाेर्टल पर जिले के तीनाें ब्लाक की स्कूलाें में वर्ग,1,2,3 के लिए रिक्त स्थानाें की सूची ही अपडेट नहीं की। फिर भी आवेदन जमा किए गए। बड़ा सवाल यह है कि आवेदन करने वाले कुछ ही शिक्षकाें काे यह जानकारी कहां से कैसे लगी कि,फलां जगह खाली है। वहीं दूसरी ओर सैकड़ाें शिक्षक रिक्तियाें की अपडेट जानकारी के लिए डीईओ,बीईओ,संकुल आफिसाें के चक्कर लगाते रहे। पाेर्टल पर हर काॅलम में जानकारी में केवल 00 दिखाई दे रहा है।
शासन ने जुलाई माह की शुरूआत में ट्रांसफर के लिए अादेश जारी किए। शिक्षा विभाग में कई शिक्षक लंबे समय से इसके इंतजार में थे। 10 दिनाें तक ताे कुछ पता नहीं लगा। 13 तारीख से कुछ लाेग अपने अपने स्तर पर जानकारी जुटाकर अर्जियां लेकर डीईओ में पहुंचने लगे। अभी तक की स्थिति के अनुसार शिक्षा विभाग में ट्रांसफर की आखिरी तारीख 18 जुलाई तक की है। लेेकिन जिले के हरदा,टिमरनी,खिरकिया ब्लाक की प्राइमरी,मिडिल,हाई स्कूल व किस हायर सेकेंडरी स्कूल में किस वर्ग में किस विषय की पाेस्ट खाली है,इसकी शिक्षकाें काे विभाग ने पाेर्टल अपडेट कर जानकारी नहीं दी। इस कारण शिक्षक यहां वहां परेशान हाेते रहे।
रिक्ति नहीं पता ताे कैसे और क्या लिखा आवेदन में:
जिले की किस स्कूल में जगह खाली है,इसकी शिक्षा विभाग ने काेई अधिकृत जानकारी पाेर्टल पर अपडेट नहीं की। इसके बावजूद बीते 4 दिनाें से राेज दर्जनाें लाेग आवेदन जमा करने आए। अावेदन में खाली जगह का नाम भी लिखना अनिवार्य है। सवाल यह है कि जब पाेर्टल अपडेट नहीं है। बाबू भी पाेर्टल अपडेट न हाेने का हवाला दे रहे हैं ताे शिक्षकाें ने किस आधार पर जगह का चयन कर काॅलम में लिखा। यदि वहां जगह खाली नहीं हुई ताे आवेदन खारिज हाेना तय है। यह जानते हुए शिक्षक इतनी माथापच्ची क्याें करेगा।
शुक्रवार काे डीईओ में आवेदन देने आए एक शिक्षक ने बताया की संगठनाें के पदाधिकारी व अन्य प्रभावशाली शिक्षक बाबूओं व अधिकारियाें के संपर्क में रहते हैं,जिन्हें गाेपनीय रुप से सारी जानकारी मिल जाती है। जिस आधार पर वे अपना या अपने चहेताें का ट्रांसफर कराने की जुगत करते हैं। खाली जगह की सही जानकारी विभागीय कर्मचारी या अधिकारी के सहयाेग के बिना कैसे संभव है। शिक्षक ने कहा कि उन्हाेंने भी मनचाही जगह पर ट्रांसफर हाेने के बाद खर्चे पानी का तय वादा पूरा करने का कमिटमेंट किया है।
यदि सभी लाेगाें काे पाेर्टल से ही जानकारी मिलना है ताे वह अपडेट नहीं है,लेकिन यदि डीईओ,बीईओ के पास जानकारी थी,ताे नाेटिस बाेर्ड पर सार्वजनिक क्याें नहीं की गई। जबकि डीईओ यह जानते हैं कि राेज ही शिक्षक जानकारी के लिए परेशान हाे रहे हैं। इसका डीईओ डीएस रघुवंशी ने काेई संताेषजनक जवाब नहीं दिया। शिक्षकाें का भी यही अाराेप था कि हर साल सांठगांठ कर सूची दबा दी जाती है। अपने चेहेताें काे पसंद की जगह बताकर पहले ही भर दी जाती है,बाद में उस खाली जगह काे पाेर्टल पर भरा हुअा प्रदर्शित कर दिया जाता है।
गांव में पदस्थ एक महिला शिक्षक ने कहा कि उन्हें 40 किमी दूर आना जाना पड़ता है। वे याेग्यता व पात्रता रखती हैं। आसपास के इलाकाें की स्कूलाें में खाली पदाें की जानकारी के लिए उन्हाेंने हर संभव प्रयास किए,काेई जानकारी नहीं मिली। शुक्रवार शाम 6 बजे तक किसी भी वर्ग में खाली पदाें की जानकारी पाेर्टल पर दिखाई नही दे रही थी। इस कारण वे खाली जगह वाले काॅलम में चयनित शाला का नाम नहीं लिख पाई। इसी कारण अावेदन जमा नहीं हुअा। ट्रांसफर के मामले में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं काे आ रही है।